ब्लैक बॉक्स क्या होता है? आजकल सबके मन में ये सवाल है। क्योकि जब भी कोई विमान दुर्घटना होती है और उसमे विमान के पूरी तरह से नष्ट हो जाने पर सिर्फ ब्लैक बॉक्स ही वो जरिया है जिसके द्वारा हम इस दुर्घटना के करने की जड़ तक पहुंच सकते है। क्योकि Black Box कभी भी नष्ट नहीं होता। आइये जानते है आखिर क्या होता है ब्लैक बॉक्स और Black Box से कैसे खुलते है दुर्घटनाग्रस्त विमानों के राज?
ब्लैक बॉक्स क्या होता है?
ब्लैक बॉक्स को विमान की दुर्घटना का पता लगाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसे फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (flight data recorder) भी कहा जाता है। Black Box किसी भी विमान में उड़ान के दौरान उससे जुडी हर तरह की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने वाला उपकरण होता है। आम तौर पर जब भी कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है तो उसमे मौजूद ज्यादातर उपकरण नष्ट हो जाते हैं।
जानिए Black Box से कैसे खुलते है दुर्घटनाग्रस्त विमानों के राज?
दुर्घटनाग्रस्त विमान का ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद वह सबसे पहले टेक्निकल एक्सपर्ट पहुंचते है। वह पहुंचकर ब्लैक बॉक्स से सुरक्षात्मक मटेरियल को हटाकर सावधानी से कनेक्शन को साफ़ करते हैं जिससे कोई भी जरूरी डेटा ना मिट पाए। सब कुछ साफ़ होने के बाद ऑडियो या डेटा फाइल को डाउनलोड और कॉपी किया जाता है। आपको बता दें कि इस डेटा से पहली बार में ही कोई जानकारी नहीं मिल पाती। इसके लिए एक लम्बा प्रोसीजर होता है जिसमे रॉ फाइल्स को डीकोड करके एक ग्राफ तैयार किया जाता है। और इसके बाद इसे डिकोड करके सूचनाएं इकठ्ठा की जाती है और उसके आधार पर दुर्घटना के कारणों का पता लगाया जाता है।
Black Box कैसा होता है?
बहुत लोगो को ये भ्रम रहता है की ब्लैक बॉक्स दिखने में भी ब्लैक होता होगा। लेकिन नहीं, विमान में मौजूद यह Black Box नारंगी रंग होता है। इसका नारंगी रंग के होने का प्रमुख कारण यह है की नारंगी दुर्घटनास्थल पर यह दूर से दिखाई देता है। कमर्शियल और लड़ाकू दोनों तरह के विमान में ब्लैक बॉक्स यानी फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर लगा होता है। इसलिए यह बहुत मजबूत होता है।
इसे क्यों कहा जाता है Black Box?
इसके Black Box नाम दिए जाने के पीछे यह भी तर्क दिया जाता है कि चूंकि ब्लैक शब्द हादसों से जुड़ा है। इसलिए इसके लिए इस टर्म ब्लैक बॉक्स का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन आज भी इस डिवाइस का नाम ब्लैक बॉक्स रखने को लेकर कई विशेषज्ञों में असहमति बनी हुई है. बाकि आगे आपको इस बॉक्स के बारे में बहुत सी जानकारी मिलने वाली है।
ब्लैक बॉक्स का आविष्कार किसने किया?
क्या आपको पता है, ब्लैक बॉक्स का आविष्कार आस्ट्रेलिया के महान साइंटिस्ट डेविड वारेन (David Warren) ने 1950 के दशक में किया था। डेविड वारेन मेलबोर्न के एरोनाटिकल रिसर्च लेबोरेट्रीज (Melbourne’s Aeronautical Research Laboratories) में काम करते थे। जब पहला जेट आधारित कामर्शियल एयरक्राफ्ट “कामैट” दुर्घटना ग्रस्त हो हुआ तो वारेन दुर्घटना की जांच करने वाली टीम का हिस्सा थे। फिर भी आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इन्होनें कैसे इसका खोज किया।
दुर्घटना की जांच के दौरान ही उनके मन में एक ख्याल आया कि क्यों न कोई ऐसा यंत्र बनाया जाए जो विमान हादसे के बाद भी दुर्घटना के कारणों को बहुत दिन तक सहेज कर रखे। सबसे पहले आस्ट्रेलिया ने कामर्शियल एयरक्राफ्ट में ब्लैक बॉक्स लगाया था।
ब्लैक बॉक्स से सारी जानकारी इकठ्ठा करने में कितना समय लगता है?
क्या आपको पता है, विमान दुर्घटना में ब्लैक बॉक्स को अगर कोई ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है तो सुरक्षा जाँच अधिकारी कुछ ही दिनों में दुर्घटना की बेसिक जानकारी हासिल कर लेते हैं। आपको बता दें की जब भी कोई भीषण दुर्घटना होती है तो ब्लैक बॉक्स को भी कुछ न कुछ नुकसान पहुँचता है। हालांकि हर केस में हमेशा ऐसा नहीं होता। ब्लैक बॉक्स मिलने के करीब एक महीने बाद जाँच अधिकारिओं द्वारा एक अंतरिम रिपोर्ट जारी की जाती है। ये रिपोर्ट एक कंपलीट रिपोर्ट नहीं होती। विमान हादसे के मामले की पूरी तरह से गहन जांच करके फाइनल रिपोर्ट सौपने में करीब एक साल या उससे भी ज्यादा का भी वक्त लग सकता है। किसी का तो सैलून तक पता भी नहीं चलता है।
कैसे निकाला जाता है ब्लैक बॉक्स का डेटा?
ब्लैक बॉक्स का डेटा मिलाने के बाद उसकी जांच के लिए अधिकारियों के पास एक ऐसा कमरा होता है जो रिकॉर्डिंग स्टूडियो की तरह बना होता है। इसमें चैनलों के माध्यम से अतरिक्त शोर को हटाते हुए सभी आवाजों को अलग-अलग किया जाता है। इन आवाजों को केवल मुख्य जांच अधिकारी और इस जाँच में शामिल सिर्फ चंद लोगों को ही सुनाने की इजाजत होती है।
आपको बता दे की ब्लैक बॉक्स में मौजूद ये आवाजें दिल को काफी विचलित करने वाले होती है। इसीलिए इन कई देशो में इन आवाजों को सुनने वाले सभी स्टाफ की ट्रॉमा काउंसलिंग भी कराई जाती है। उसके बाद ही इन्हे ये सुनाने की इजाजत दी जाती है। ब्लैक बॉक्स के इस टेप को सुनने के बाद इन्हें सील कर दिया जाता है।
ब्लैक बॉक्स कैसे काम करता है?
जब भी कोई विमान दुर्घटना होती है तो ब्लैक बॉक्स शुरुआती तौर पर विमान के क्रैश होने के कारण को समझने में मदद करता है। ब्लैक बॉक्स के डेटा में एयरस्पीड, ऊंचाई और कॉकपिट में हुई बातचीत सहित बहुत सी अहम जानकारियां शामिल होती हैं। करीब 4.5 किलो वजन के इस ब्लैक बॉक्स में दो रिकॉर्डर होते हैं।
- कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR): Cockpit Voice Recorder में पायलट और कॉकपिट की आवाज रिकॉर्ड होती है।
- फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR): Flight Data Recorder में विमान के अंदर बैठे बाकी लोगों की आवाज रिकॉर्ड की जाती है।
बाकि आपको ज्यादा जानकारी नीचे पढ़ने को मिल जाएगी। आइये हम विस्तार से और कुछ इस ब्लैक बॉक्स के बारे में जानते हैं।
ब्लैक बॉक्स के बारे में चौकानें वाले तथ्य :-
ब्लैक बॉक्स बहुत ही मजबूत धातु टाइटेनियम का बनाया जाता है | यह 11000°C के तापमान को एक घंटे तक सहन कर लेता है और 30 दिन तक बिना विद्युत् के काम करता रहता है | जब यह बॉक्स किसी जगह पर गिरता है तो प्रत्येक सेकेण्ड एक बीप की आवाज/तरंग लगातार 30 दिनों तक निकालता रहता है | इस आवाज की उपस्थिति को खोजी दल द्वारा 2 से 3 किमी. की दूरी से ही पहचान लिया जाता है | इसकी एक और मजेदार बात यह है कि जहाज के समुद्र में गिरने और ब्लैक बॉक्स डूबने पर भी यह 14000 फीट गहरे समुद्री पानी के अन्दर से भी संकेतक भेजता रहता है |
मगर यह ब्लैक बॉक्स होता लाल रंग का है और साधारणतया यह विमान के पिछले भाग में रखा जाता है ।
Leave a Reply